“मैं सड़क हूँ रहती हूँ एक ही जगह कभी निःस्तब्ध, मौन कभी कराहती हुई ! “मैं सड़क हूँ रहती हूँ एक ही जगह कभी निःस्तब्ध, मौन कभी कराहती हुई !
घूमता रहा इन सड़कों पर किसी ने कुछ कहा कर दिया। घूमता रहा इन सड़कों पर किसी ने कुछ कहा कर दिया।
सड़क किनारे दिख ही जातें हैं अपनी ज़िन्दगी को धागे से सीते फटेहाल सड़क किनारे दिख ही जातें हैं अपनी ज़िन्दगी को धागे से सीते फटेहाल
हम हैं राही इस जिन्दगी रूपी सड़क के जो चलती जा रही है। हम हैं राही इस जिन्दगी रूपी सड़क के जो चलती जा रही है।
ज़िन्दगी और रियलिटी ज़िन्दगी और रियलिटी
याद है पुकारने पर, सबके बंद कान कर लेना याद है पुकारने पर, सबके बंद कान कर लेना